दृष्टियाँ
सभी ग्रह सातवे भाव पर दृष्टि डालते है| इसके अतिरिक्त शनि 3,10 पर,
ब्रहस्पति 5,9 पर और मंगल 4,8 भावो पर
भी दृष्टि डालते है| इन ग्रहो की ये दृष्टियाँ 7वी दृष्टि से
भी अधिक बली होती है| इन दृष्टियों को मानने मे समस्या यह है
कि इनमे सूक्ष्मता नही आ पाती क्योकि एक राशि 300 की होती है| दो ग्रहो की दृष्टि जानने के लिए उनके अंशो का ज्ञान आवश्यक है| अगर मंगल कन्या मे 10 पर और केतू धनु मे 290 पर
स्थित है तो फल शुभ होता है क्योकि दोनों के मध्य 1180 का अंतर है जो
ट्राइन दृष्टि के अधिन्स्थ है| अत: एक ही भाव मे स्थित ग्रहो
की दृष्टियाँ भिन्न-भिन्न अंशो की दूरी के आधार पर शुभ या अशुभ हो सकती है|
कोई भी ग्रह उपरोक्त अंशो के नियम के आधार पर 2,6,11 भावो पर दृष्टि नही डालता है|
निष्कर्षत: अगर दो ग्रहो के मध्य शुभ दृष्टि है तो
वे दोनों एक दूसरे से सहयोग करेंगे और दशानाथ और ग्रह द्वारा इंगित फल देंगे| अगर दशानाथ शुभ फलकारी है तो उससे शुभ दृष्टि मे स्थित ग्रह शुभ फल देने
मे दशानाथ की सहायता नही करेगा|